Wednesday, March 23, 2016

होली special

होली पर जरूर जानें, इन  रंगों का महत्व
होली पर रंगों का इस्तेमाल केवल मस्ती या मजे के लिए ही नहीं किया जाता, बल्कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के साथ ही धार्मिक, आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टि से भी इन रंगों का विशेष महत्व है। जानिए इन रंगों का महत्व -



1 लाल रंग - लाल रंग ऊर्जा, साहस, महत्वाकांक्षा, क्रोध, उत्तेजना, उत्साह और पराक्रम का प्रतीक है। वहीं इस रंग को प्रेम और कामुकता का प्रतीक भी माना जाता है। लाल रंग द्वारा रक्त व हृदय संबंधी समस्याओं और मानसिक क्षीणता, आत्मविश्वास की कमी जैसी समस्याओं को हल किया जाता है। वहीं धार्मिक दृष्टि से भी लाल रंग का अत्यधि‍क महत्व है। देवी साधना में यह बेहद महत्वपूर्ण है।
2 सफेद - सफेद रंग शांति और शुद्धता का प्रतीक है। य ह अशांत मन को शांति प्रदान करता है, विद्या प्राप्ति में सहायता करता है और जीवन में सकारात्मकता का संचार कर मन और मस्तिष्क में सात्‍विकता प्रदान कर शुद्ध करता है। अत्यधि‍क क्रोधी स्वभाव के लोगों के लिए य‍ह रंग बेहद सकारात्मक है।
3 हरा -  हरा रंग शीतलता, ताजगी, हरियाली, सकारात्मकता, अपरिवर्तनशीलता, गौरव, प्रसन्नता का प्रतीक है। यह तनाव दूर कर, नाड़ी संबंधी रोगों, लिवर, आंत के रोगों एवं रक्त शोधन के लिए महत्वपूर्ण है। यह आत्मविश्वास, प्रसन्नता और शीतलता प्रदान करता है।  इसे बुद्धि का रंग भी कहा जाता है। हरा रंग सौभाग्य और समृद्धि का भी सूचक है।
4 नीला - नीला रंग प्रेम, कोमलता, विश्वास, स्नेह, वीरता, पौरुषता को दर्शाता है। यह रक्तचाप, सांस संबंधी रोगों व आंखों के लिए फायदेमंद होता है। धार्मिक और ज्योतिष की दृष्ट‍ि से भी इस रंग का काफी महत्व है। हल्का नीला यानि आसमानी रंग शरीर में जल तत्व का प्रतिनिधि‍त्व करता है और आध्यात्मिक विकास को दर्शाता है।

परमाणु

5 पीला - पीला रंग आरोग्य, शांति, सुकून, योग्यता, ऐश्वर्य और यश को दर्शाता है, वहीं हल्का रंग बीमारी का सूचक है। पित्त व पाचन संबंधी समस्याओं में यह लाभकारी है। पीला रंग युवावस्‍था को भी दर्शाता है। यह बौद्धि‍क विकास को भी दर्शाता है और खुशी का अनुभव कराता है। पीला रंग स्पष्टवादिता का भी प्रतीक है।
होली मनाने का वैज्ञानिक कारण और महत्व
होली सिर्फ एक त्योहार या परंपरा ही नहीं है, बल्कि यह पर्यावरण से लेकर आपकी सेहत के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है। होली मनाने का धार्मिक कारण तो आप जानते ही हैं, लेकिन क्या आप इसका वैज्ञानिक कारण भी जानते हैं? जानिए होली पर्व से जुड़े कुछ वैज्ञानिक तथ्य -
वैज्ञानिकों का कहना है कि हमें अपने पूर्वजों का शुक्रगुजार होना चाहिए कि उन्होंने वैज्ञानिक दृष्टि से बेहद उचित समय पर होली का त्योहार मनाने की शुरूआत की। लेकिन होली के त्योहार की मस्ती इतनी अधिक होती है कि लोग इसके वैज्ञानिक कारणों से अंजान रहते हैं।
होली का त्योहार साल में ऐसे समय पर आता है जब मौसम में बदलाव के कारण लोग उनींदे और आलसी से होते हैं। ठंडे मौसम के गर्म रुख अख्तियार करने के कारण शरीर का कुछ थकान और सुस्ती महसूस करना प्राकृतिक है। शरीर की इस सुस्ती को दूर भगाने के लिए ही लोग फाग के इस मौसम में न केवल जोर से गाते हैं बल्कि बोलते भी थोड़ा जोर से हैं।
इस मौसम में बजाया जाने वाला संगीत भी बेहद तेज होता है। ये सभी बातें मानवीय शरीर को नई ऊर्जा प्रदान करती हैं। इसके अतिरिक्त रंग और अबीर (शुद्ध रूप में) जब शरीर पर डाला जाता है तो इसका उस पर अनोखा प्रभाव होता है।
योगाश्रम के डॉ. प्रधान के अनुसार, होली पर शरीर पर ढाक के फूलों से तैयार किया गया रंगीन पानी, विशुद्ध रूप में अबीर और गुलाल डालने से शरीर पर इसका सुकून देने वाला प्रभाव पड़ता है और यह शरीर को ताजगी प्रदान करता है। जीव वैज्ञानिकों का मानना है कि गुलाल या अबीर शरीर की त्वचा को उत्तेजित करते हैं और पोरों में समा जाते हैं और शरीर के आयन मंडल को मजबूती प्रदान करने के साथ ही स्वास्थ्य को बेहतर करते हैं और उसकी सुदंरता में निखार लाते हैं।
होली का त्योहार मनाने का एक और वैज्ञानिक कारण है। हालांकि यह होलिका दहन की परंपरा से जुड़ा है। शरद ऋतु की समाप्ति और बसंत ऋतु के आगमन का यह काल पर्यावरण और शरीर में बैक्टीरिया की वृद्धि को बढ़ा देता है लेकिन जब होलिका जलाई जाती है तो उससे करीब 145 डिग्री फारेनहाइट तक तापमान बढ़ता है।
परंपरा के अनुसार जब लोग जलती होलिका की परिक्रमा करते हैं तो होलिका से निकलता ताप शरीर और आसपास के पर्यावरण में मौजूद बैक्टीरिया को नष्ट कर देता है। और इस प्रकार यह शरीर तथा पर्यावरण को स्वच्छ करता है।
दक्षिण भारत में जिस प्रकार होली मनाई जाती है, उससे यह अच्छे स्वस्थ को प्रोत्साहित करती है। होलिका दहन के बाद इस क्षेत्र में लोग होलिका की बुझी आग की राख को माथे पर विभूति के तौर पर लगाते हैं और अच्छे स्वास्थ्य के लिए वे चंदन तथा हरी कोंपलों और आम के वृक्ष के बोर को मिलाकर उसका सेवन करते हैं।
कुछ वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि रंगों से खेलने से स्वास्थ्य पर इनका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है क्योंकि रंग हमारे शरीर तथा मानसिक स्वास्थ्य पर कई तरीके से असर डालते हैं। पश्चिमी फीजिशियन और डॉक्टरों का मानना है कि एक स्वस्थ शरीर के लिए रंगों का महत्वपूर्ण स्थान है।
हमारे शरीर में किसी रंग विशेष की कमी कई बीमारियों को जन्म देती है और जिनका इलाज केवल उस रंग विशेष की आपूर्ति करके ही किया जा सकता है।
होली के मौके पर लोग अपने घरों की भी साफ-सफाई करते हैं जिससे धूल गर्द, मच्छरों और अन्य कीटाणुओं का सफाया हो जाता है। एक साफ-सुथरा घर आमतौर पर उसमें रहने वालों को सुखद अहसास देने के साथ ही सकारात्मक ऊर्जा भी प्रवाहित करता है।

मेरी तरफ से आप सभी ओर आप के परिवार जनो को होली कि ढेर सारी शुभकामनाए .
 happy holi.

                                                 webduniya.

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